उत्तराखंड में पारंपरिक मोटे अनाजों की खेती को अब नई पहचान मिलने लगी
“उत्तराखंड में ‘श्री अन्न’ की खेती को नई पहचान, बंजर खेतों में फिर से लौटी हरियाली”
उत्तराखंड में पारंपरिक मोटे अनाजों की खेती को अब नई पहचान मिलने लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से मोटे अनाज को बढ़वा देने के लिए श्री अन्न नाम दिया गया है। केन्द्र सरकार के द्वारा, प्रोत्साहन मिलने से मोटे अनाज की खेती के प्रति लोग जागरुक हो रहे हैं। सरकार ने मोटे अनाज की फसल का समर्थन मूल्य भी निर्धारित किया है।
टिहरी जिले की बात करें, तो जनपद में साढ़े 6 हजार हेक्टेयर में, मंडुआ का उत्पादन किया जा रहा है जबकि झंगोरा 9000 हेक्टेयर और चौलाई का 800 हेक्टेयर में उत्पादन हो रहा है। टिहरी के मुख्य विकास अधिकारी डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि मोटे अनाज की फसल को उगाने के लिए, किसानों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है।
सरकार के द्वारा प्रोत्साहन मिलने से किसान गांव में बंजर पडे़ खेतों में इसका उत्पादन करने लगे हैं। जिले के प्रतापनगर ब्लाक के रौणद रमोली, उपली रमोली में, अभी भी करीब 50 प्रतिशत मोटे अनाजों का किसान उत्पादन कर रहे हैं। इसके अलावा जौनपुर ब्लाक भिलंगना ब्लाक के कोटी फैगुल और चंबा के, हेंवलघाटी में भी किसान मोटे अनाज की खेती कर रहे हैं।
वहीं, कृषि एवं वानिकी महाविद्यालय रानीचौरी के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को इसकी तकनीकी और पैदावर को लेकर जानकारी दी है।
मोटे अनाज की खेती कर रही स्वयं सहायता समूह से जुड़ी जौनपुर विकासखंड के सिल्ला गांव की निवासी उज्ज्वला देवी ने बताया कि गांव में आज भी लोग बड़े स्तर पर मोटे अनाज की खेती कर रहे हैं इस अनाज की फसल को जंगली जानवर भी नुकसान नही पहुंचाते है। उन्होंने कहा कि मौसम के अनुसार यह खेती पहाड़ों के लिए लाभदायक भी है।
