दशहरा: भारत के विभिन्न हिस्सों में विविधता से मनाए जाने वाले उत्सव
दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्यौहार है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और इसे भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। इस दौरान लोग उत्सव मनाने के लिए विभिन्न रीति-रिवाजों का पालन करते हैं। आइए जानते हैं कि कैसे अलग-अलग क्षेत्रों में दशहरा के रंग देखने को मिलते हैं।
1. गुजरात: डांडिया रास
गुजरात में दशहरा का उत्सव डांडिया रास और गरबा के साथ मनाया जाता है। लोग पारंपरिक कपड़े पहनकर, विशेष रूप से रंग-बिरंगे चूड़ीदार और सलवार-कुर्ता पहनकर, नृत्य करते हैं। यहाँ के लोगों का उत्साह और ऊर्जा इस त्योहार को खास बनाती है। गरबा और डांडिया के दौरान, महिलाएँ एक दूसरे के साथ मिलकर एकत्रित होती हैं और ताल पर थिरकती हैं, जो सामूहिकता और भाईचारे का प्रतीक है।
2. पश्चिम बंगाल: सिंदूर खेला
पश्चिम बंगाल में दशहरा को दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान, विशेष दिन सिंदूर खेला मनाया जाता है। इस परंपरा में विवाहित महिलाएँ एक-दूसरे पर सिंदूर लगाती हैं और माँ दुर्गा की पूजा करती हैं। यह एक अनोखा उत्सव है, जो प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। इसे दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दिन मनाया जाता है, जिससे भावनाओं का एक नया अध्याय शुरू होता है।
3. उत्तर भारत: रामलीला और रावण दहन
उत्तर भारत में दशहरा का मुख्य आकर्षण रामलीला का मंचन और रावण दहन है। रामलीला का आयोजन दशहरे से पहले कई दिनों तक किया जाता है, जिसमें भगवान राम की कथा का मंचन होता है। इसके बाद, विजयादशमी के दिन, विशाल रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस उत्सव में लोग बड़े उत्साह के साथ भाग लेते हैं और इसकी रौनक देखते ही बनती है।
4. कर्नाटक: नवरत्री और दशहरा
कर्नाटक में, दशहरा के दौरान नवरत्री का पर्व भी मनाया जाता है, जो नौ रातों का उत्सव है। यहाँ की संस्कृति में देवी दुर्गा की पूजा के विशेष अनुष्ठान होते हैं। मैसूर में तो दशहरा का उत्सव भव्य तरीके से मनाया जाता है, जहाँ मैसूर महल में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दौरान, जुलूस, नृत्य, और संगीत कार्यक्रम होते हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
5. तमिलनाडु: दशहरा
तमिलनाडु में भी दशहरा के दिन विभिन्न रीति-रिवाज होते हैं। यहाँ इसे नवरत्री के बाद मनाया जाता है। लोग इस दिन विशेष पूजा करते हैं और अपने घरों को सजाते हैं। यहाँ पर विशेषकर गोलु की परंपरा होती है, जिसमें विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियों की स्थापना की जाती है। परिवार के लोग एक साथ बैठकर पूजा करते हैं और मिठाइयों का आनंद लेते हैं।
