दशहरा 2024: रावण मरा नहीं, जीवित है! बुराइयों पर विजय हासिल करना ही असली दशहरा है
इस साल दशहरा का पर्व एक नई सोच और दृष्टिकोण के साथ मनाया जा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी लोग रावण के पुतले का दहन करेंगे, लेकिन क्या हम यह सोचते हैं कि रावण केवल एक पौराणिक पात्र नहीं है? उसके प्रतीक के रूप में आज भी कई बुराइयाँ हमारे समाज में जीवित हैं।
रावण का प्रतीकात्मक अर्थ:
रावण को बुराई, अहंकार, और अनैतिकता का प्रतीक माना जाता है। लेकिन क्या हम यह मान सकते हैं कि आज के समय में रावण की बुराइयाँ—जैसे कि भ्रष्टाचार, असहिष्णुता, और सामाजिक भेदभाव—अभी भी हमारे बीच मौजूद हैं? इसलिए, रावण को केवल एक पुतले के रूप में जलाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है इन बुराइयों के खिलाफ खड़ा होना और उन्हें समाप्त करने का संकल्प लेना।
असली दशहरा:
इस साल के दशहरे का सन्देश है कि असली दशहरा तब मनाया जाता है जब हम इन बुराइयों पर विजय प्राप्त करते हैं। यह केवल रावण के पुतले को जलाने का पर्व नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर की बुराइयों को पहचानने और उन्हें खत्म करने का एक अवसर है।
सकारात्मक बदलाव की दिशा में कदम:
दशहरे के इस अवसर पर, हम सभी को संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएंगे। चाहे वह व्यक्तिगत स्तर पर हो या सामूहिक रूप से, हमें उन बुराइयों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए जो समाज को नुकसान पहुंचा रही हैं।
समाज में एकता:
दशहरा एक ऐसा पर्व है जो एकता, भाईचारे, और सद्भावना का प्रतीक है। इस बार हमें यह याद रखना चाहिए कि जब हम मिलकर बुराइयों का सामना करते हैं, तो हम अपने समाज को और मजबूत बना सकते हैं।
