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पाकिस्तान में मंदिरों पर कब्जा: जिन्ना के देश में हिंदुओं की स्थिति पर सवाल

पाकिस्तान में हाल ही में हिंदू समुदाय के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ स्थानों पर हिंदू मंदिरों पर कब्जा करने की घटनाएँ सामने आई हैं, जिनमें से एक मंदिर को तो “बाबरी मस्जिद” के रूप में घोषित कर दिया गया है। इस घटना ने पाकिस्तान में हिंदू समुदाय की स्थिति को एक बार फिर से उजागर किया है।

मंदिर पर कब्जा और उसका धर्म परिवर्तन
खबरों के अनुसार, एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर पर कब्जा कर उसे मस्जिद के रूप में तब्दील करने की कोशिश की गई है। इस तरह की घटनाएँ पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के प्रति बढ़ती असहिष्णुता और धार्मिक भेदभाव का संकेत देती हैं। हिंदू धर्म का पालन करने वाले नागरिकों को अपने धार्मिक स्थानों की रक्षा करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

जिन्ना के सपनों का हनन
पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने एक समावेशी और धार्मिक सहिष्णुता का देश बनाने का सपना देखा था। लेकिन आज, जिन्ना के देश में हिंदू समुदाय की हालत अत्यंत चिंताजनक है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जिन्ना के सिद्धांतों का पालन किया जा रहा है या देश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।

हिंदू समुदाय का संघर्ष
पाकिस्तान में हिंदू समुदाय को न केवल अपने धार्मिक स्थलों के प्रति चिंता है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक अधिकारों को भी लेकर संघर्ष करना पड़ता है। कई रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि हिंदू लड़कियों को जबरन धर्म परिवर्तन और विवाह के मामलों का सामना करना पड़ता है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस प्रकार की घटनाओं पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें भी हैं। कई मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा की मांग की है।

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