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फोरलेन का धीमा निर्माण: उद्योगों और यात्रियों को भारी जाम का सामना

“फोरलेन का धीमा निर्माण: उद्योगों और यात्रियों को भारी जाम का सामना”

आपको बतातें चलें की इस फोरलेन का 30 महीनों के अरसे में मुश्किल से 40 प्रतिशत काम ही हो पाया है। 731 करोड़ लागत के 36 किलोमीटर लंबे इस हिस्से को चौड़ा करने का काम सितंबर में पूरा होना था, लेकिन अभी तक 50 प्रतिशत भी नहीं हो पाया है।

इस फोरलेन का 17.37 किलोमीटर हिस्सा हिमाचल और बाकी हरियाणा में पड़ता है। लाईओवर और पुल जैसी बड़ी संरचनाओं के निर्माण का काम विभिन्न चरणों में है, लेकिन इन्हें पूरा होने में 9 से 10 महीने और लगेंगे।

यहां उल्लेखनीय है की भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने भी सुस्त चाल चल रहे फोरलेन के कार्य का संज्ञान लेेते हुए कुछ महीने पहले निजी फर्म को काम में तेजी लाने के लिए कारण बताओ नोटिस दिया था।

सनद रहे की फोरलेन के कार्य में देरी के पीछे भूमि अधिग्रहण भी एक बढ़ी वजह रही, मसलन कार्यकारी एजेंसी को कई अन्य बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है , क्योंकि उन्हें भूमि टुकड़ों में मिलीे। अभी भी 66 केवी पावर स्टेशन लाइन और गैस कंपनी की पाइप लाइनों को हटाया जाना बाकी है।

फोरलेन के कार्य में तेजी लाने को लेकर हाल ही में एसडीएम नालागढ़ राजकुमार ने निर्माण कंपनी व एनएचएआई के अधिकारियों के साथ बैठक कर काम में तेजी लाने के निर्देश दिए थे।

इस बैठक में उन्होंने निर्देश दिए थे की जिन लोगों की जमीनों की राशि अवार्ड हो चुकी है वह जल्द से जल्द अपनी जमीन को खाली करें ताकि निमार्ण कार्य में तेजी लाई जा सके।

एसडीएम ने एनएचआई के अधिकारियों से कहा था कि जब तक फोरलेन का निर्माण कार्य पूरा नहीं होता है तब तक मार्ग को ठीक किया जाए, जिससे लोगों को आवाजही में कोई दिक्कत न हो।

इसी कड़ी में अब फोरलेन पर पैचवर्क का कार्य शुरू कर दिया गया है। एसडीएम बद्दी विवेक महाजन ने भी एनएचएआई के अधिकारियों के साथ बैठक की है और उन्हें काम में तेजी लाने और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में धूल को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त पानी के छिडक़ाव करने के लिए कहा है। 

कंपनी को अभी तक 78 फीसदी जमीन ही मिली

प्रोजेक्ट प्रभारी असलम खान ने बताया कि पेचवर्क का कार्य तेजी से हो रहा है तथा पेचवर्क का काम खेड़ा गांव तक पहुंच गया है। जल्द ही इसे कंपलीट कर दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि अभी तक 78 फीसदी जमीन ही उन्हें मिली है जबकि 22 फीसदी जमीन अभी मिलनी बाकी है। जमीन न मिलने की वजह से ही कार्य में तेजी नही आ पा रही है।

731 करोड़ है फोरलेन की लागत

731 करोड़ 67 लाख की लागत वाली इस फोरलेन का निर्माण गुजरात की पटेल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी कर रही है इसके निर्माण की समय सीमा अढ़ाई वर्ष निर्धारित की गई थी। लेकिन यह अरसा पूरा होने के बाद भी अभी तक निर्माण कार्य रफतार नही पकड़ पाया है।

पिंजौर से नालागढ़ तक बनने वाले लगभग 31.195 किलोमीटर लंबे फोरलेन में हिमाचल के हिस्से बद्दी से नालागढ़ तक लगभग 17.6 किलोमीटर भूमि आती है, जबकि बाकी 13 किलोमीटर का हिस्सा हरियाणा के क्षेत्र में आता है।

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