राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय बोर्ड (NIOS)के माध्यम से पहली से 12वीं तक बौद्ध मठों में भिक्षुओं की पढ़ाई को मान्यता, देश भर के 136 और हिमाचल के 26 मोनेस्ट्री स्कूलों में होगी पढ़ाई
“पहली से 12वीं तक पढ़ाई अब बौद्ध मठों में संभव”
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय बोर्ड (NIOS) के माध्यम से पहली से 12वीं तक बौद्ध मठों में भिक्षुओं की पढ़ाई को मान्यता दी गई है। जिससे अब देश भर के 136 और हिमाचल के 26 मोनेस्ट्री स्कूलों में मॉडर्न एजुकेशन पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। भोटी भाषा में बुद्धिस्ट संस्कृति और माडर्न शिक्षा पर बोर्ड द्वारा पाठ्यक्रम बनाया गया है जिससे अब बौद्ध मठों में पढ़ने वाले भिक्षु भोटी भाषा में साइंस और अन्य मॉडर्न विषय पढ़ेंगे। वही इसके लिए इन्हें पहली से 12वीं कक्षा तक की सर्टिफिकेट भी प्राप्त होंगे।
भोटी भाषा को शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल करने से विलुप्त होती इस भाषा को प्रोत्साहन भी मिलेगा वहीं इस भाषा की जानकारो और ट्रांस हिमालय क्षेत्र के लोगों को लाभ होगा। हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति,किन्नौर, पांगी और अन्य क्षेत्र में रहने वाले लोगों को इससे फायदा होगा।
इंडियन हिमालयन काउंसिल ऑफ नालंदा बुद्धिस्ट कल्चर के महासचिव मलिंगा गोपछु ने बताया कि नालंदा बुद्धिज़्म के बौद्ध मठों में हजारों की संख्या में पढ़ने वाले भिक्षुओं की पढ़ाई को अब मान्यता मिल गई है। NIOS के माध्यम से अब पहली से 12वीं तक का पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। इससे बौद्ध भिक्षु भोटी भाषा के साथ मॉडर्न पाठ्यकम का अध्ययन भी कर सकेंगे। केंद्र सरकार के इस कदम से बौद्ध धर्म व भोटी भाषा को बल मिला है।हिमाचल से 26 बौद्ध मठों की NIOS से मान्यता मिल जाएगी।इसके अलावा अरुणाचल सहित पूरे हिमालयन क्षेत्र में 136 सभी बौद्ध मठों में मॉडर्न एजुकेशन पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा।
इस विषय पर शिमला में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए विक्रमादित्य सिंह ने भरोसा दिलाया कि वो हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम में भी भोटी भाषा को शामिल करने का आग्रह मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से करेंगे।विक्रमादित्य सिंह ने सभा में मौजूद अतिथियों को भरोसा दिलाया कि वह विधानसभा में भी इस विषय को उठाएंगे।धर्मगुरु दलाई लामा का जिक्र करते हुए विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि आज भी विश्व में शांति की जरूरत है।
भारत के पड़ोसी राष्ट्र लगातार कोल्ड वॉर छेड़े हुए हैं।आज युद्ध केवल जंग के मैदान में नहीं हो रहे हैं बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी किलेबंदी जरूरी है। हिमालय राज्यों में भाईचारे शांति और सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए बुद्धिस्ट संस्कृति और भाषा को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
