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स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती पर राष्ट्रपति मुर्मु ने दी श्रद्धांजलि, कहा- उनके विचारों से भारत बनेगा विकसित राष्ट्र

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने रविवार को समाज सुधारक स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती को भारतीय पुनर्जागरण का प्रमुख स्तंभ बताते हुए कहा कि उनके द्वारा शुरू किए गए शिक्षा और सामाजिक सुधारों ने समाज में बड़ा बदलाव किया है।

राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भारतीय पुनर्जागरण के प्रमुख स्तंभ स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती पर उन्हें मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। स्वामी जी के शिक्षा और समाज सुधार कार्यक्रमों ने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में बड़ी भूमिका निभाई। उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। उनके विचारों से प्रेरणा लेकर भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में आगे बढ़ें।”

कांग्रेस ने भी किया याद

स्वामी दयानंद सरस्वती को कांग्रेस पार्टी ने भी याद किया। पार्टी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “महान समाज सुधारक एवं आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती जी की जयंती पर सादर नमन।”

कौन थे स्वामी दयानंद सरस्वती?

स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म 1824 में गुजरात के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका वास्तविक नाम मूल शंकर तिवारी था। उन्होंने आर्य समाज की स्थापना की, जिसके माध्यम से उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे बाल विवाह, सती प्रथा और जातिगत भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई।

स्वामी दयानंद सरस्वती महिलाओं की शिक्षा और समान अधिकारों के प्रबल समर्थक थे। उनका मानना था कि समाज का विकास तभी संभव है जब महिलाओं को समान अवसर और शिक्षा मिले। उन्होंने वेदों की शिक्षा पर जोर दिया और कहा कि वेदों के ज्ञान से ही समाज में परिवर्तन संभव है।

स्वामी दयानंद सरस्वती की प्रमुख कृतियां

उनकी प्रसिद्ध कृतियों में ‘सत्यार्थ प्रकाश’, ‘ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका’ और ‘संस्कार विधि’ प्रमुख हैं। ये पुस्तकें समाज सुधार के साथ-साथ आध्यात्मिकता और वैदिक ज्ञान पर आधारित हैं।

स्वामी दयानंद सरस्वती के विचार और जीवन आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। राष्ट्रपति मुर्मु ने इन्हीं विचारों को अपनाकर भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की बात कही है।

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