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मिल्कीपुर उपचुनाव भाजपा-सपा के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई

“उत्तर प्रदेश में अयोध्या की मिल्कीपुर में विधानसभा सीट पर उपचुनाव समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया है। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के उपचुनाव से पैर खींचने के बाद मिल्कीपुर सीट पर सपा और बीजेपी के बीच अब सीधी टक्कर है”

 उत्तर प्रदेश में अयोध्या की मिल्कीपुर में विधानसभा सीट पर उपचुनाव समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया है। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के उपचुनाव से पैर खींचने के बाद मिल्कीपुर सीट पर सपा और बीजेपी के बीच अब सीधी टक्कर है। भाजपा ने चंद्रभान पासवान को मैदान में उतारा है तो सपा ने सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद पर दांव खेला है। बीजेपी यह सीट जीतकर लोकसभा चुनाव में अयोध्या की हार का बदला लेना चाहती है। वहीं, सपा ​एक बार फिर अखिलेश के पीडीए नैरेटिव के साथ चुनाव मैदान में उतर रही है।

दोनों पार्टियों हर कीमत पर सीट अपने पास रखना चाहती है और जीतने के लिए पूरा दमखम लगा रही है। मिल्कीपुर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट होने की वजह से सियासी रूप से बहुत ही अहम है। दोनों पार्टी ने पासी समुदाय से आने वाले प्रत्याशियों पर अपना भरोसा जताया है। मिल्कीपुर में प्रत्याशियों की जीत-हार बहुत हद तक पासी वोट बैंक पर निर्भर करेगा। क्योंकि ब्राह्मण-यादव जातियों के बाद करीब 55 हजार की आबादी पासी मतदाताओं की है।

मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर करीब 3 लाख 58 हजार मतदाता हैं, जिनमें से एक लाख से ज्यादा दलित मतदाता हैं। दलितों में भी करीब 55 हजार पासी समाज के मतदाता हैं। सपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर सीट जीती थी और अवधेश प्रसाद विधायक चुने गए थे। अब अवधेश प्रसाद सांसद बन गए हैं। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि इस उपचुनाव में जीत का असर विधानसभा में विधायकों की संख्या से अधिक भविषय में होने वाले विधानसभा चुनाव के सियासी समीकरण पर भी पड़ेगा।

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