आधी सदी का विवाद खत्म: मॉरीशस को ‘चागोस’ द्वीप लौटाएगा ब्रिटेन, क्यों हिंद महासागर में अहम है जगह?
ब्रिटेन ने आधी सदी के विवाद के बाद मॉरीशस को ‘चागोस’ द्वीप लौटाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय भारतीय महासागर में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण द्वीपों की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
चागोस द्वीप का इतिहास
चागोस द्वीप समूह, जो कि हिंद महासागर में स्थित है, को 1960 के दशक में ब्रिटेन ने मॉरीशस से अलग कर लिया था। इस दौरान ब्रिटेन ने वहां अमेरिकी सैन्य बेस स्थापित किया, जिसके बाद स्थानीय निवासियों को द्वीप से निष्कासित कर दिया गया। इस निर्णय को लेकर कई देशों और मानवाधिकार संगठनों ने ब्रिटेन की आलोचना की।
मॉरीशस की मांग
मॉरीशस ने लंबे समय से चागोस द्वीप समूह के अपने स्वामित्व का दावा किया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मामले को उठाया है। पिछले साल, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने ब्रिटेन से चागोस द्वीप समूह को वापस करने के लिए कहा था, जो मॉरीशस के लिए एक महत्वपूर्ण जीत थी।
हिंद महासागर में महत्व
चागोस द्वीप का हिंद महासागर में विशेष महत्व है:
- सैन्य रणनीति: चागोस में अमेरिका का एक प्रमुख सैन्य बेस है, जो क्षेत्र में सुरक्षा और निगरानी के लिए महत्वपूर्ण है। यह बेस आतंकवाद और समुद्री डकैती के खिलाफ लड़ाई में मददगार साबित हुआ है।
- आर्थिक क्षेत्र: हिंद महासागर में समुद्री मार्गों का उपयोग वैश्विक व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है। चागोस द्वीप का रणनीतिक स्थान इस क्षेत्र में व्यापार और परिवहन को प्रभावित करता है।
- पारिस्थितिकी तंत्र: चागोस द्वीप समूह का समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र अत्यंत विविध और समृद्ध है, जो समुद्री जीवन की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
